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सफ़र-ए-लेखन

 

लेखन का सफ़र बिलकुल अचानक ही शुरू हुआ। हिन्दी मेरे लिए हमेशा से ही अंग्रेजी से ज्यादा ऊपर रही। कारण यह हो सकता है कि स्कूल के वक़्त कक्षा में भी हिन्दी में हमेशा अव्वल रहा और घर पर भी हिन्दी के प्रति लगाव का माहौल था। वैसे तो हमारी माँ ने हिन्दी में लिखना हमारे सामने ही शुरू किया तो शायद उसका प्रभाव हमारे मानस पटल पर भी छाया हो, यह मुमकिन है।

 

मैंने आधिकारिक तौर पर हिन्दी में अपनी रचनाएं लिखना सीधे ब्लॉग से ही शुरू किया। २००८ में ब्लॉगिंग की नयी बयार चली थी और नए लैपटॉप पर नयी नयी तकनीक की खोज तो हरदम ही होती रहती थी। उस वक़्त बिट्स पिलानी में कई लोगों ने अंग्रेजी में ब्लॉग करना शुरू किया तो मैंने भी सोचा, "क्यों ना हिन्दी में ही ब्लॉग शुरू किया जाए?" और इस तरह कैंपस पर मैं पहला हिन्दी ब्लॉगर बन गया। कुछ ही महीनों में कैंपस की हिन्दी प्रेस क्लब के लिए भी हिन्दी में ब्लॉग शुरू कर दिया और दोनों का जिम्मा मेरे हाथों रहा।

 

गानों का शौक होने के कारण मुझे हमेशा हिन्दी गीतों के बोलों की तलाश रहती थी पर मुझे कभी भी वह हिन्दी में लिखी हुई न मिलती थी। इसलिए मैंने खुद ही हिन्दी गीत के बोल के लिए ब्लॉग शुरू कर दिया और उसपर गीतों को हिन्दी में टाइप करके डालने लगा। आज उस ब्लॉग (Lyrics In Hindi - लफ़्ज़ों का खेल) पर करीब १२०० गीत हैं और कई और भी लेखक हैं।

 

मैं कभी भी शब्दों के बारे में ज्यादा गहन नहीं सोचता परन्तु विचारों का मंथन भीतर ही भीतर होता रहता है। जब मुझे किसी विचार से लगाव हो जाता है तो वह एक पोस्ट के रूप में उभरकर ब्लॉग पर प्रेषित होती है। बस यही नीति मैंने अपने ब्लॉगिंग के पिछले ६ सालों में अपनाया है और निरंतर कुछ लिखने में लगा रहता हूँ।

 

ब्लॉग के जरिये कई और अच्छे लेखक और लोगों से मिलने-जानने के अवसर मिला और इसी दौरान एक किताब में कविताएँ भी छपी। जनसत्ता में कई लेख छपने से काफी प्रोत्साहन मिला क्योंकि एक नौसिखिये के लिए तो तिनका भी जहाज है। ब्लॉगिंग के अलावा बिट्स में कई गीत भी लिखे और उनको धुनें भी दी।

 

कॉलेज से निकलने के बाद भी ब्लॉग करता रहा और जनसत्ता अखबार में कई लेख छपे। एक फिल्म के लिए भी एक कविता लिखी जो कि आप मेरे संगीत वाले पेज पर देख सकते हैं। बिट्स पिलानी के लिए भी एक गीत लिखा, संगीतबद्ध किया और फिर गाया भी।

 

अब लेखनी को ले कर और भी गंभीर हूँ और सदा प्रयासरत रहता हूँ कि जो भी लिखूं अच्छा लिखूं, चाहे वह ब्लॉग के लिए हो, गीत हो, कविता हो, सम्पादकीय हो या विस्तृत कृतियाँ। नए-नए नज़रियों को पढ़ता रहता हूँ और अपने विचारों के साथ मथ कर उनको शब्दों में उकेरने की कोशिश करता हूँ। प्रयास जारी है।

 

 

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